Psaumes 142
142
मैं यहोवा की दुहाई देता,
2
मैं अपने शोक की बातें उससे खोलकर कहता,
3
जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो रही थी,
4
मैंने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता।
5
हे यहोवा, मैंने तेरी दुहाई दी है;
6
मेरी चिल्लाहट को ध्यान देकर सुन,
7
मुझ को बन्दीगृह से निकाल कि मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूँ!