Psalmen 65

65

हे परमेश्‍वर, सिय्योन में स्तुति तेरी बाट जोहती है;

2

हे प्रार्थना के सुननेवाले!

3

अधर्म के काम मुझ पर प्रबल हुए हैं;

4

क्या ही धन्य है वह, जिसको तू चुनकर अपने समीप आने देता है,

5

हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर,

6

तू जो पराक्रम का फेंटा कसे हुए,

7

तू जो समुद्र का महाशब्द, उसकी तरंगों का महाशब्द,

8

इसलिए दूर-दूर देशों के रहनेवाले तेरे चिन्ह देखकर डर गए हैं;

9

तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता है,

10

तू रेघारियों को भली भाँति सींचता है,

11

तेरी भलाइयों से, तू वर्ष को मुकुट पहनता है;

12

वे जंगल की चराइयों में हरियाली फूट पड़ती हैं;

13

चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं;