Salmos 84
84
हे सेनाओं के यहोवा, तेरे निवास क्या ही प्रिय हैं!
2
मेरा प्राण यहोवा के आँगनों की अभिलाषा करते-करते मूर्छित हो चला;
3
हे सेनाओं के यहोवा, हे मेरे राजा, और मेरे परमेश्वर, तेरी वेदियों में गौरैया ने अपना बसेरा
4
क्या ही धन्य हैं वे, जो तेरे भवन में रहते हैं;
5
क्या ही धन्य है वह मनुष्य, जो तुझ से शक्ति पाता है,
6
वे रोने की तराई में जाते हुए उसको सोतों का स्थान बनाते हैं;
7
वे बल पर बल पाते जाते हैं;
8
हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन,
9
हे परमेश्वर, हे हमारी ढाल, दृष्टि कर;
10
क्योंकि तेरे आँगनों में एक दिन और कहीं के हजार दिन से उत्तम है।
11
क्योंकि यहोवा परमेश्वर सूर्य और ढाल है;
12
हे सेनाओं के यहोवा,