Salmos 36

36

दुष्ट जन का अपराध उसके हृदय के भीतर कहता है;

2

वह अपने अधर्म के प्रगट होने

3

उसकी बातें अनर्थ और छल की हैं;

4

वह अपने बिछौने पर पड़े-पड़े

5

हे यहोवा, तेरी करुणा स्वर्ग में है,

6

तेरा धर्म ऊँचे पर्वतों के समान है,

7

हे परमेश्‍वर, तेरी करुणा कैसी अनमोल है!

8

वे तेरे भवन के भोजन की

9

क्योंकि जीवन का सोता तेरे ही पास है;

10

अपने जाननेवालों पर करुणा करता रह,

11

अहंकारी मुझ पर लात उठाने न पाए,

12

वहाँ अनर्थकारी गिर पड़े हैं;