诗篇 14
14
मूर्ख ने अपने मन में कहा है, “कोई परमेश्वर है ही नहीं।”
2
यहोवा ने स्वर्ग में से मनुष्यों पर दृष्टि की है
3
वे सब के सब भटक गए, वे सब भ्रष्ट हो गए;
4
क्या किसी अनर्थकारी को कुछ भी ज्ञान नहीं रहता,
5
वहाँ उन पर भय छा गया,
6
तुम तो दीन की युक्ति की हँसी उड़ाते हो
7
भला हो कि इस्राएल का उद्धार सिय्योन से प्रगट होता!