诗篇 39

39

मैंने कहा, “मैं अपनी चालचलन में चौकसी करूँगा,

2

मैं मौन धारण कर गूँगा बन गया,

3

मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था।

4

“हे यहोवा, ऐसा कर कि मेरा अन्त

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देख, तूने मेरी आयु बालिश्त भर की रखी है,

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सचमुच मनुष्य छाया सा चलता-फिरता है;

7

“अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूँ?

8

मुझे मेरे सब अपराधों के बन्धन से छुड़ा ले।

9

मैं गूँगा बन गया और मुँह न खोला;

10

तूने जो विपत्ति मुझ पर डाली है

11

जब तू मनुष्य को अधर्म के कारण

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“हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, और मेरी दुहाई पर कान लगा;

13

आह! इससे पहले कि मैं यहाँ से चला जाऊँ