诗篇 52

52

¶ हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों घमण्ड करता है?

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तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है;

3

तू भलाई से बढ़कर बुराई में,

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हे छली जीभ,

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निश्चय परमेश्‍वर तुझे सदा के लिये नाश कर देगा;

6

तब धर्मी लोग इस घटना को देखकर डर जाएँगे,

7

“देखो, यह वही पुरुष है जिसने परमेश्‍वर को

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परन्तु मैं तो परमेश्‍वर के भवन में हरे जैतून के

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मैं तेरा धन्यवाद सर्वदा करता रहूँगा, क्योंकि